Saturday, January 11, 2014

Class X change in syllabus & Date Sheet of EXAM.


सी.बी.एस.ई ने द्वितीय सत्र के पाठ्यक्रम में कुछ परिवर्तन किये हैं ।
उन परिवर्तनों को जानने और समझने के लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक 
करके जानिये । साथ में अभ्यास के लिये Sample Paper भी दिया हुआ है ।

यहां नीचे दोनों लिंक पर क्लिक किजिए :-
http://www.cbseacademic.in/web_material/Circulars/2013/73_SYLLABUS_SA-II_2014_X.pdf

Date sheet के लिये यहां क्लिक किजिए :

य़दि यहां कोई कठिनाई आती है तो नीचे दिये  लिंक पर भी क्लिक 
कर सकते हैं :-

अन्य कोई समस्या हो तो मुझे  मेल किया जा सकता है -





Saturday, January 4, 2014

नवमी दशमी संस्कृत-गृहकार्य - दिनदर्शिका

दिनदर्शिका अर्थात् CALENDAR. जैसे अंग्रेजी के calendar में January,February महीने होते हैं ,उसी प्रकार भारतीय महीनें भी होते हैं जैसे- 1. चैत्र 2. वैशाख 3. ज्येष्ठ 4. आषाढ़ 5. श्रावण 6. भाद्रपद 7. अश्विन 8. कार्तिक 9. मार्गशीर्ष 10. पौष 11. माघ 12. फाल्गुन
हम प्रत्येक महीने के लिये एक रंगीन कागज लेंगे और उस पर चैत्र लिखकर ३० दिनों की तिथियां लिखेंगे । भारतीय त्योहार जिस महीने के जिस पक्ष तिथि और वार को आयेंगे उनकी सूची बनाएंगे । इसी तरह बारह महीनों का एक क्लेंडर बनाना है । इस कार्य में दादा-दादी,नाना-नानी ज्यादा सहायता कर सकेंगे ।
चैत्र मास या महीना ही हमारा प्रथम मास होता है, जिस दिन ये मास आरम्भ होता है, उसे ही वैदिक नव-वर्ष मानते हैं l
चैत्र मास अंग्रेजीकैलेंडर के अनुसार मार्च-अप्रैल में आता है, चैत्र के बाद वैशाख मास आता है जोअप्रैल-मई के मध्य में आता है, ऐसे ही बाकी महीने आते हैं l
फाल्गुन मास हमारा अंतिम मास है जो फरवरी-मार्च में आता है, फाल्गुन की अंतिम तिथि से वर्ष की सम्पति हो जाती है, फिर अगला वर्ष चैत्र मास का पुन: तिथियों का आरम्भ होता है जिससे नव-वर्ष आरम्भ होता है l
हमारे समस्त वैदिक मास (महीने) का नाम 28में से 12 नक्षत्रों के नामों पर रखे गयेहैं l
जिस मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उसी नक्षत्र के नाम पर उस मास का नाम हुआ l
1. चित्रा नक्षत्र से चैत्र मास l
2. विशाखा नक्षत्र से वैशाख मास l
3. ज्येष्ठा नक्षत्रसे ज्येष्ठ मास l
4. पूर्वाषाढा या उत्तराषाढा से आषाढ़ l
5. श्रावण नक्षत्र से श्रावण मास l
6. पूर्वाभाद्रपद याउत्तराभाद्रपद से भाद्रपद l
7. अश्विनी नक्षत्र से अश्विन मास l
8. कृत्तिका नक्षत्रसे कार्तिक मास l
9,. मृगशिरा नक्षत्र से मार्गशीर्ष मास l
10. पुष्य नक्षत्र सेपौष मास l
11. माघा नक्षत्र से माघ मास l
12. पूर्वाफाल्गुनी या उत्तराफाल्गुनी से फाल्गुन मास l
मुहूर्तों के नाम
हिन्दू धर्म में मुहूर्त एक समय मापन इकाई है, वर्तमान हिन्दी भाषा में इस शब्द को किसी कार्य को आरम्भ करने की शुभ घड़ी को कहने लगे हैं l
एक मुहूर्त बराबर होता है दो घड़ी के, या लगभग 48 मिनट के, और एक घड़ी में होते हैं 24 मिनट l
अमृत/जीव महूर्त और ब्रह्म मुहूर्त बहुत श्रेष्ठ होते हैं; ब्रह्म मुहूर्त सूर्योदय से पच्चीस नाड़ियां पूर्व , यानि लगभग दो घंटे पूर्व होता है, यह समय योग साधना और ध्यान लगाने के लिये सर्वोत्तम कहा गया है l
अगर सूर्योदय का समय प्रात: 6 बजे है तो मुहूर्त इस प्रकार होंगे :-
1- 06:00 – 06:48 = रुद्र (B)
2- 06:48 – 07:36 = आहि (B)
3- 07:36 – 08:24 = मित्र (G)
4- 08:24 – 09:12 = पितॄ (B)
5- 09:12 – 10:00 = वसु (G)
6- 10:00 – 10:48 = वाराह (G)
7- 10:48 – 11:36 = विश्वेदेवा (G)
8- 11:36 – 12:24 = विधि
9- 12:24 – 13:12 = सतमुखी (G)
10- 13:12 – 14:00 = पुरुहूत (B)
11- 14:00 – 14:48 = वाहिनी (B)
12- 14:48 – 15:36 = नक्तनकरा (B)
13- 15:36 – 16:24 = वरुण (G)
14- 16:24 – 17:12 = अर्यमा (B)
15- 17:12 – 18:00 = भग (B)
16- 18:00 – 18:48 = गिरीश (B)
17- 18:48 – 19:36 = अजपाद (B)
18- 19:36 – 20:24 = अहिर बुध्न्य (G)
19- 20:24 – 21:12 = पुष्य (G)
20- 21:12 – 22:00 = अश्विनी (G)
21- 22:00 – 22:48 = यम (B)
22- 22:48 – 23:36 = अग्नि (G)
23- 23:36 – 24:24 = विधातॄ (G)
24- 24:24 – 01:12 = क्ण्ड (G)
25- 01:12 – 02:00 = अदिति (G)
26- 02:00 – 02:48 = जीव/अमृत (G)
27- 02:48 – 03:36 = विष्णु (G)
28- 03:36 – 04:24 = युमिगद्युति (G)
29- 04:24 – 05:12 = ब्रह्म
30- 05:12 – 06:00 = समुद्रम (G)
G-अर्थात good (अच्छा)
B-अर्थात bad (बुरा)
ब्रह्म-मुहूर्त सबसे उत्तम मुहूर्त है l
कोई भी महत्वपूर्ण कार्य करने से पहले मुहूर्त अच्छा है या बुरा जांच लेना चाहिए l
नक्षत्र आकाश में तारों के समूह को कहते हैं। साधारणतः यह चन्द्रमा की आकृतियों से जुडे हैं, पर वास्तव में किसी भी तारा समूह को नक्षत्र कहना उचित है।
नक्षत्र अर्थात पृथ्वी से दिखाई देने वाले तारों के समूह को 28 भागों में विभाजित करना, आकाश के वे भाग या क्षेत्र जो चन्द्रमा पार करता है या पूर्ण करता है, पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए l
रात्रि के समय आकाश में असंख्य तारे दिखाई देते हैं, चन्द्रमा पृथ्वी कीपरिक्रमा 27.3 दिन में पूरी करता है, इसलिए कभी किसी तारों के समूह के साथ दिखाई देता है, फिर अगली रात को किसी दुसरे तारों के समूह के साथ दिखाई देता है l
विभिन्न तारों के समूहों को वेदों में 28 भागों में बांटा गया है, जिन्हें हम नक्षत्र कहते है कहते हैं l
अथर्ववेद में 28 नक्षत्रों का वर्णन है, जिनमे से 27 मुख्य नक्षत्र हैं और 28वां नक्षत्र कुछ ही समय के लिए रहता है l
नक्षत्र सूची अथर्ववेद, तैत्तिरीय संहिता, शतपथ ब्राह्मण और लगध के वेदाङ्ग ज्योतिष में मिलती है।
1 अश्विनी (Ashvini)
2 भरणी (Bharani)
3 कृत्तिका (Krittika)
4 रोहिणी (Rohini)
5 मॄगशिरा (Mrigashirsha)
6 आद्रा (Ardra)
7 पुनर्वसु (Punarvasu)
8 पुष्य (Pushya)
9 अश्लेशा (Ashlesha)
10 मघा (Magha)
11 पूर्वाफाल्गुनी (Purva Phalguni)
12 उत्तराफाल्गुनी (Uttara Phalgunī)
13 हस्त (Hasta)
14 चित्रा (Chitra)
15 स्वाती (Svati)
16 विशाखा (Vishakha)
17 अनुराधा (Anuradha)
18 ज्येष्ठा (Jyeshtha)
19 मूल (Mula)
20 पूर्वाषाढा (Purva Ashadha)
21 उत्तराषाढा (Uttara Ashadha)
22 श्रवण (Shravana)
23 श्रविष्ठा (Shravishtha) or धनिष्ठा
24 शतभिषा (Shatabhishaa)
25 पूर्वभाद्र्पद (Purva Bhadrapada)
26 उत्तरभाद्रपदा (Uttara Bhadrapada)
27 रेवती (Revatī)
28वें नक्षत्र का नाम अभिजित (Abhijit) है जो सबसे कम समय के लिए ही रहता है l
सनातन तिथियाँ
तिथि अर्थात दिन या दिनांक, वैदिक कलेंडर में जो चन्द्रमास या चन्द्रमा की गति पर आधारित कलेंडर है, उसमे तिथियों के नाम संस्कृत गणना पर रखे गये हैं, वैदिक कलेंडर कई प्रकार के हैं, सबसे अधिक प्रचलित चन्द्रमास ही है l
मास को दो भागों में बांटा जाता है, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष l
कृष्ण पक्ष अर्थात जब चन्द्रमा की आकृति घटती हुई दिखाई देती हैं l
शुक्ल पक्ष अर्थात जब चन्द्रमा की आकृति बढती हुई दिखाई देती हैं l
कृष्ण पक्ष की तिथियाँ
एकम (प्रथमी) = 1
द्वितीया = 2
तृतीया = 3
चतुर्थी = 4
पंचमी = 5
षष्ठी = 6
सप्तमी = 7
अष्टमी = 8
नवमी = 9
दशमी = 10
एकादशी = 11
द्वादशी = 12
त्रयोदशी = 13
चतुर्दशी = 14
अमावस्या = 15
शुक्ल पक्ष की तिथियाँ
एकम (प्रथमी) = 1
द्वितीया = 2
तृतीया = 3
चतुर्थी = 4
पंचमी = 5
षष्ठी = 6
सप्तमी = 7
अष्टमी = 8
नवमी = 9
दशमी = 10
एकादशी = 11
द्वादशी = 12
त्रयोदशी = 13
चतुर्दशी = 14
पूर्णिमा = 15
जब हम तिथि बताते हैं तो पक्ष भी बताते हैं जैसे:
शुक्ल एकादशी अर्थात शुक्ल पक्ष की एकादशी या 11वीं तिथि l
कृष्ण पंचमी अर्थात कृष्ण पक्ष की पंचमी या 5वीं तिथि l
साभार- श्री विनीत राय जी

पिकनिक